Apr 25, 2013

Budda Mal Bhagat

Bhagat Budda Mal


सन् 1947 में पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए और जालंधर में बसे मेघ भगत समाज में लगभग सभी लोग एक नाम से भली-भाँति परिचित हैं- भगत बुड्डामल. भार्गव कैंप, जालंधर में उनके नाम से एक ग्राऊँड बना है जिसे भगत बुड्डामल ग्राऊँड कहते हैं.

विडंबना है कि आज मेघ भगत समाज में बहुत कम लोग इस सामाजिक कार्यकर्ता के बारे में विस्तार से जानते हैं जिसने अपने समुदाय के लिए जीवन भर अथक परिश्रम किया ताकि यह समुदाय भविष्य में भली प्रकार से ससम्मान जीवन व्यतीत कर सके.
उनका जन्म और पालन-पोषण स्यालकोट, पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था. वे मेघ जाति के एक सामान्य परिवार में जन्मे थे. बहुत शिक्षित नहीं थे. लेकिन छोटी आयु में ही वे समाज सेवा के कार्य में प्रवृत्त हो गए थे. भारत में आने के बाद तो वे आजीवन समाज सेवा में रहे. मैंने स्वयं उन्हें अमृतसर, जालंधर और चंड़ीगढ़ में समाज सेवा में सक्रिय देखा है.
  
उनकी दिनचर्या ही थी कि वे सहायता माँगने आए किसी भी आगंतुक के साथ हो लेते और उसकी भरपूर मदद करते. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे अन्य मेघ भगतों की भाँति भार्गव कैंप, जालंधर में बस गए. यहाँ रहते हुए उन्होंने भगत गोपीचंद के साथ मिल कर बहुत कार्य अपने समाज के लिए किया. वे कई बार जालंधर म्युनिसिपल कार्पोरेशन के सदस्य चुने गए. वे अकेले या अपने साथी सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में आते रहे और यहाँ भगत मिल्खीराम (पीसीएस), श्री केसरनाथ जी, सत्यव्रत शास्त्री जी आदि के साथ मिल कर उन्होंने बहुत से लोगों के नौकरियों आदि से संबंधित कार्य कराए जिससे समुदाय के लोगों को लाभ पहुँचा.
उन्होंने जीवनभर विवाह नहीं किया और ब्रह्मचारी रहे. दमकता हुआ गोरा चेहरा. लंबा कुर्ता, तुर्रे वाली अफ़ग़ानी पगड़ी और पठानी सलवार पहनने वाले बुड्डामल जी का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक और प्रभावपूर्ण था. वे धीरे-धीरे प्रेमपूर्वक और ठहरी हुई बात करते थे.

उनके कार्य और समाज सेवा के मद्देनज़र सरकार ने उनकी स्मृति में भार्गव कैंप में श्री बुड्डामल पार्क बना दिया और उनके कार्य के महत्व को मान्यता दी.
श्री बुड्डामल जी के जन्म-मृत्यु के बारे में मेरे पास अभी कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. पार्क बनने के साथ उनका नाम अमर तो हो गया लेकिन उनके बारे में अभी बहुत-सी जानकारियाँ जुटाई जानी बाकी हैं. अभी हाल ही में भगत चूनी लाल भगत के नागरिक अभिनंदन समारोह में श्री बुड्डामल जी को याद किया गया था.

अब बेहतर हो कि हमारे सामाजिक संगठन अपने पूर्ववर्ती सामाजिक कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी जुटाएँ और समय-समय पर उनके संबंध में उपलब्ध सामग्री को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का उपक्रम करें आखिर वे हमारे लिए कल्याणकारी सोच रखने वाले प्रेरणा स्रोत हैं.
मेरे विचार से भगत बुड्डामल पार्क में उनकी मूर्ति लगाई जानी चाहिए ताकि आने वाले समय में हम सभी उनके कार्य से प्रेरणा ले सकें. यहाँ के वाटर टैंक पर 'बुड्डामल पार्क' लिखा जा सकता है ताकि पार्क का नाम दूर से पढ़ा जा सके.

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